एक साथ दस कवितायेँ......
........एक......
भारतीय
राजनीत एक ऐसा
पौधा है
जिसे
साम्प्रदायिकता का लहू
भाई-भतीजावाद का
हवा
जातिवाद का धूप
और
क्षेत्रवाद का खाद-गोबर सींचता है
ब्रितानी हुकूमत से
मुक्ति से लगायत
अब तक
यह राजनीतिक पौधा
इसी जमीं पर फल-फूल रहा है
इसकी चालक शक्ति
परिवारवाद है
और
लोकतंत्र
हाथी का दांत
......................."अधूरी"
DRY/04/03/2013/09:00PM
राजनीत एक ऐसा
पौधा है
जिसे
साम्प्रदायिकता का लहू
भाई-भतीजावाद का
हवा
जातिवाद का धूप
और
क्षेत्रवाद का खाद-गोबर सींचता है
ब्रितानी हुकूमत से
मुक्ति से लगायत
अब तक
यह राजनीतिक पौधा
इसी जमीं पर फल-फूल रहा है
इसकी चालक शक्ति
परिवारवाद है
और
लोकतंत्र
हाथी का दांत
......................."अधूरी"
DRY/04/03/2013/09:00PM
.....दो.....
जिस
दौर में वो
तंदूरी मुर्गी बनकर
अल्कोहल से गटकने के लिए
लोगों को आमंत्रित कर रही थी
ठीक
उसी दौर में
मणिपुर की
इरोम शर्मीला
सैन्य विशेषाधिकार क़ानून के ख़िलाफ़
आज़ादी और लोकतांत्रित अधिकारों के लिए
12 सालों से अनशनरत
और
जल,जंगल,जमीन और
जनतंत्र के लिए
सोनी सोरी
जेल में
.................अधूरी.....
04/03/2013/08.30PM
दौर में वो
तंदूरी मुर्गी बनकर
अल्कोहल से गटकने के लिए
लोगों को आमंत्रित कर रही थी
ठीक
उसी दौर में
मणिपुर की
इरोम शर्मीला
सैन्य विशेषाधिकार क़ानून के ख़िलाफ़
आज़ादी और लोकतांत्रित अधिकारों के लिए
12 सालों से अनशनरत
और
जल,जंगल,जमीन और
जनतंत्र के लिए
सोनी सोरी
जेल में
.................अधूरी.....
04/03/2013/08.30PM
.....तीन.....
साम्राज्यवाद
सील है
और
पूंजीवाद लोढ़ा
जिस पर सर्वहारा वर्ग
पीसा जाता है
चटनी की तरह
.......................अधूरी.....
DRY/04/03/2013/07:02.PM
सील है
और
पूंजीवाद लोढ़ा
जिस पर सर्वहारा वर्ग
पीसा जाता है
चटनी की तरह
.......................अधूरी.....
DRY/04/03/2013/07:02.PM
.....चार.....
जब
भी गुजरता हूँ
मस्ज़िद के रास्ते
इमाम बोलता है
देखो
काफ़िर जा रहा है
बढ़ता हूँ
आगे
मंदिर
के रास्ते
पुजारी बोलता है
देखो
नास्तिक जा रहा है
..................................(अधूरी)
DRY/02/03/2013/08:00....................................
भी गुजरता हूँ
मस्ज़िद के रास्ते
इमाम बोलता है
देखो
काफ़िर जा रहा है
बढ़ता हूँ
आगे
मंदिर
के रास्ते
पुजारी बोलता है
देखो
नास्तिक जा रहा है
..................................(अधूरी)
DRY/02/03/2013/08:00....................................
.....पांच.....
गाँव
होता तो खेत में मड़ई लगाकर भी रह लेते
यहाँ पैसा है मगर
मड़ई
यहाँ पैसा है मगर
मड़ई
के लिए जमीन मयस्सर नहीं...
....छः....
तनहा
ही कट गए
जवानी के रास्ते
बंजर हुई ऊर्जा
अकादमी के रास्ते
कंघी हुई बेरोजगार
संघर्ष के रास्ते
छुटा गाँव–गिरांव
रोटी के वास्ते
...............................इसके बाद का इंतज़ार.
DRY/01/03/2013
ही कट गए
जवानी के रास्ते
बंजर हुई ऊर्जा
अकादमी के रास्ते
कंघी हुई बेरोजगार
संघर्ष के रास्ते
छुटा गाँव–गिरांव
रोटी के वास्ते
...............................इसके बाद का इंतज़ार.
DRY/01/03/2013
.....सात.....
तुम्हें
याद है
भूतपूर्व प्रधानमंत्री
की प्रतिमा के नीचे
मिलना
बैठना
घंटों बात करना
फिर भी 'वो' बात कहने के पहले
समय का खत्म हो जाना
आँखों का मिलना
तरल हो जाना
फिर मिलना
और सहम जाना
जमीन में
नज़रों को गड़ा देना
और शून्य में चले जाना
वापस आना
उठ का चल देना
बिना कुछ बोले
अपने में खोये
.............अधूरी......
DRY/28/02/2013/07.OOPM
याद है
भूतपूर्व प्रधानमंत्री
की प्रतिमा के नीचे
मिलना
बैठना
घंटों बात करना
फिर भी 'वो' बात कहने के पहले
समय का खत्म हो जाना
आँखों का मिलना
तरल हो जाना
फिर मिलना
और सहम जाना
जमीन में
नज़रों को गड़ा देना
और शून्य में चले जाना
वापस आना
उठ का चल देना
बिना कुछ बोले
अपने में खोये
.............अधूरी......
DRY/28/02/2013/07.OOPM
.....आठ.....
आज
का वह पल अमर हो गया.
खूबसूरत यादों में
बेहतरीन बातों में
सरोकारी संवादों में
सामाजिक सवालों में
क्यों
न यह पल रोज़ आये
एक नये संकल्प के साथ
नये ख़्वाब के साथ
एक
नयी उम्मीद के साथ ....
कल
आज और कल से जुड़ा हुआ
....................................
का वह पल अमर हो गया.
खूबसूरत यादों में
बेहतरीन बातों में
सरोकारी संवादों में
सामाजिक सवालों में
क्यों
न यह पल रोज़ आये
एक नये संकल्प के साथ
नये ख़्वाब के साथ
एक
नयी उम्मीद के साथ ....
कल
आज और कल से जुड़ा हुआ
....................................
DRY/28/02/2013
......नौ.....
कबूतरों
और उनके चूजों को कैसे बताऊँ
मकान मालिक ने कर दिया है
फ़्लैट का सौदा
खरीद लिया है
शिक्षा का एक व्यापारी
मार्च में करना है खाली
ढूंढना है नया आशियाना
कौन डालेगा उन्हें दाना
उजाड़ देगा
उनका आशियाना
छूट जाएगा अपुन का सालों का साथ
रह जाएँगी
सिर्फ उनकी यादें.....
01/03/2013/09:00
.....दस.....
उनकी खुशी,हमारा भ्रम
वे
जब आपसे मिलकर हँस रहे होते हैं
समझिये
अन्दर से आपको फांसने की तैयारी कर रहे होते हैं
वे
जब आप पर खुश हो रहे होते हैं
उनके
अन्दर नाराज़गी की भट्ठी भभक रही होती है
वे
जिस समय आपकी तारीफ़ कर रहे होते हैं
ठीक उसी समय
अन्दर से षड्यंत्र कर रहे होते हैं
वे
जब आपकी सफलता पर आशीर्वाद दे रहे होते हैं
उसी दौरान
अन्दर से श्राप भी दे रहे होते हैं
वे
जब बधाई दे रहे होते हैं
मान लीजिये
आपकी सफाई अभियान में लगे होते हैं
वे
जब सहयोग का वादा करते हैं
समझिये
असहयोग की जमीन तैयार कर रहे होते हैं
वे
जब आपकी प्रगति पर प्रफुल्लित हो रहे होते हैं
कब्र खोदाई में भी लगे होते हैं
वे
जब आपका उपकार रहे होते हैं
समझिये
फुफकार रहे होते हैं
वे
हर मामले में अभिनय कर रहे होते हैं
हमें भ्रम होता है
सविनय
सब कुछ हमारे लिए कर रहे होते हैं
.............................फ़िलहाल इतना है.संपादन,संशोधन और विस्तार बाद में
DRY/25 /02 /2013/11:00PM.
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