Monday 5 November 2012

खूंटे से बंधी आज़ादी


परिधि

मैं एक गाय थी
बचपन में ही
बांध दी गयी
तुम्हारे खूंटे से
मौसम चाहे जैसा हो
हमारी परिधि उतनी ही थी
जीतनी दूर तुम्हारा पगहा
हमें जाने को ढील देता.
जब कभी हमने कोशिश की 
परिधि से बाहर जाने की
मिल जाती काकियों से सूचना तुम्हें
नमक-मिर्च और चासनी के साथ
फिर शुरू होता तुम्हारा वहीँ
परंपरागत उपचार
मैं तड़प उठती
हमारी कराह
तुम्हारे मर्दानेपन को संजीवनी देती
और
काकियों को सुख
अगले ही पल हमारा पगहा और छोटा हो जाता
हमारी आजादी
तुम्हारे खूंटे से बंधी गाय की तरह थी


छिद्र

करते रहे हम चोट पर चोट
तुम पीती रही 'कड़वा घोट'
बावजूद इसके तुम भूलती नहीं
हर साल रखती 'करवा चौथ'
 हमारी रक्षा का
हम तो सदियों से ठहरे शिकारी
और तुम हमारा शिकार
हमीं बनाये तुम्हें पूजक
हमीं चढ़ाये तुम्हें चिता पर
हमीं हुए तुम पर फ़िदा
तुम खुश थी कुछ रंगों के सजावट से
कुछ गहनों के पहनावे से
पहले तय करता था परम्परा
और अब बाज़ार
जब तुम चलनी से देखती हो चाँद
और बाद में हमारी शक्ल
हजारों छिद्र होते हैं चलनी में
लेकिन उनमे से नहीं दीखता तुम्हें
हमारा छिद्र
कितनी प्रबल होती है आस्था
बंद कर देती है सभी बुराइयों का छिद्र
रमेश यादव  05/06/2012/6.42./pm

16 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

दोनों रचनाएँ कटु सत्य को कहती हुई .... भावपूर्ण रचनाएँ ... पुरुष हो कर आप एक नारी के हृदय को समझ सके .... आभार

रमेश यादव said...

शुक्रिया बहुत-बहुत ...
आभार सहित !

रमेश यादव said...
This comment has been removed by the author.
Amrita Tanmay said...

अति संवेदनशील प्रस्तुति..प्रभावी..

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह......
बेहतरीन...
दोनों एक से बढ़ कर एक.....
बहुत सुन्दर!!!!!

अनु

poonam said...

maun hun mae....samvednsheel...

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

बहुत सुंदर वर्णन.... दोनों पक्षों का !
~सादर !!!

Anju (Anu) Chaudhary said...

हर नारी मन की व्यथा ...बहुत खूब ...सादर

रमेश यादव said...

Amrita Tanmay@

शुक्रिया और आभार !

शुभकामनाओं सहित !

रमेश यादव said...

expression@

शुक्रिया और आभार !

शुभकामनाओं सहित !

रमेश यादव said...

Anita JI!@

शुक्रिया और आभार !

शुभकामनाओं सहित !

रमेश यादव said...


poonam जी @
शुक्रिया और आभार !

शुभकामनाओं सहित !

रमेश यादव said...

Anju (Anu)जी Chaudhary @

शुक्रिया और आभार !
शुभकामनाओं सहित !

shikha varshney said...

वाह .....क्या विश्लेषण किया है नारी के मनोभावों का. संगीता जी की हलचल का आभार आप तक पहुँचाने के लिए.

Unknown said...

behad gambhie aur chintniy vyakhya,

Unknown said...

behad gambhie aur chintniy vyakhya,