Wednesday 13 June 2012

राष्ट्रपति चुनाव: राय सीना के लिए राष्ट्रीय कीच-कीच


रमेश यादव 
13 जून,2012,नई दिल्ली.
  
भारत के मुकाबले अमरीकी राजनीति और रणनीति के दशा-दिशा में कितना अंतर है...?
अमेरिका में नवंबर २०१२ में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है,जबकि भारत में १९ जुलाई २०१२ को.
बावजूद इसके वहां करीब एक साल पहले से राजनैतिक गतिविधियां चल रही हैं.
भारत में अभी उम्मीदवार तक तय नहीं हुआ है.
अमेरिका में कमोबेश रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार पानी में उतराते तेल की तरह दिख रहे हैं.
भारत में यूपीए चेयरपरशन,जिसका नाम सलेक्ट कर रही है,सहयोगी पार्टियां,उसे रिजेक्ट करने में लगे हैं.
फ़िलहाल तो यहीं स्थिति दिख रही है.
ममता बनर्जी तुनक मिजाज़ जरुर हैं,लेकिन उनका सार्वजनिक राजनैतिक जीवन सादगी भरा है.उनकी छवि लड़ाकू,जुझारू और संघर्षशील है.कुछ मामलों को छोड़ दें तो आमतौर पर उनका कदम और निर्णय आम आदमी के पक्ष में होता है.
मुलायम सिंह यादव तपे हुए संघर्ष की भट्ठी से निकले हुए एक अनुभवी और अखाड़ेबाज नेता हैं.उनको पता है कि कौन सा दांव  किसको,कब और कैसे मारना है,खास तौर पर धोबियापाट.उनके राजनैतिक पैतरेबाजी को भी इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए.
आज ममता बनर्जी और मुलायम सिंह ने मिलकर जो दांव चली है,उसकी कल्पना राजनीतिक पंडित नहीं किये थे.
सोनिया गाँधी से मिलकर जब ममता बनर्जी निकली तो उनके पास सोनिया के सुझाये दो नाम थे,प्रणव मुखर्जी और हामिद अंसारी.
लेकिन जब वे मुलायम सिंह के साथ मीटिंग करके प्रेस के सामने प्रकट हुईं तो उनके पिटारे में तीन नए नाम थे,एपीजे अब्दुल कलम,मनमोहन सिंह और सोमनाथ चटर्जी.          
मजेदार बात देखिये,ममता ने प्रेस से कहा कि देश का राष्ट्रपति इज्जतदार,ईमानदार और संविधान का जानकार हो.उसे देश की जानकारी हो ताकी अच्छा काम कर सके.उनके इस वक्तव्य का मायने तो वहीँ लोग लगा पाएंगे,जो इनकी खूबियों को जानते हैं.
अब सवाल उठता है कि ममता और मुलायम के इस तात्कालिक साठ-गांठ के पीछे का राजनैतिक चाल क्या है ?
यह कदम पैकेज लेने के लिए है या फिर मुलायम सिंह और ममता ने कांग्रेस से अतीत की बेइज्जती का बदला ले रहे हैं.
क्या ममता ने प्रणव के काट के लिए सोमनाथ चटर्जी का नाम आगे किया.मनमोहन का नाम कांग्रेस को झुकाने के लिए किया गया,जबकि अब्दुल कलाम का नाम दोनों ने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किया है...?
जब पत्रकारों ने पूछा कि इन तीनों में आप लोगों की पहली पसंद कौन है तो ममता ने बताने से इंकार कर दिया.
इसके और कई मायने हो सकते हैं.लेकिन राजनीति तो ऊंट की तरह है.पहले से कैसे बताया जाये ?
कांग्रेस की घाघपना देखिये,अभी तक अधिकारिक तौर पर किसी नाम की घोषणा नहीं की है.प्रणव और अंसारी का नाम ममता के मुख से निकला है.कांग्रेस के मुख से नहीं.   
      

   

       
  

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